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भगवान श्रीराम ने किया था अश्वमेध यज्ञ ( Ram performs rituals of Ashwamedh Yagya )

भगवान श्रीराम ने अपने राज्याभिषेक के कुछ वर्षों के पश्चात अश्वमेघ यज्ञ करने का निर्णय लिया था लेकिन क्यों? (Ashwamedha Yagna in Ramayana) दरअसल लंका का राजा रावण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और ऋषि विश्रवा का पुत्र था हालांकि रावण की माता राक्षस कुल की थी लेकिन पिता के ब्राह्मण होने के कारण रावण भी एक ब्राह्मण था। भगवान श्री राम के द्वारा रावण और उनके वंश का वध किये जाने के कारण उनके ऊपर ब्रह्महत्या का दोष था। शास्त्रों (religious books) में ब्रह्म हत्या को अति-निंदनीय बताया गया है जिसका भगवान श्रीराम ने अभी तक प्रायश्चित नही किया था.. इसी कारण उनके राज में कंबोधर ऋषि ने भी उनसे अन्न लेना अस्वीकार कर दिया था। अश्मेध यज्ञ के द्वारा भगवान श्री राम ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सकते थे। इसलिए उन्होंने इस यज्ञ को करने का निर्णय लिया।


भारतीय साहित्य के महाकाव्य "रामायण" में भगवान श्री राम के अश्वमेध यज्ञ का वर्णन हमें एक महत्वपूर्ण सन्देश देता है। यह यज्ञ कई महत्वपूर्ण कारणों से किया गया था। (Reasons of Ashwamedha Yagna in Ramayana)

- धर्म का पालन

भगवान श्री राम धर्म के प्रति समर्पित थे और उन्होंने अपने राज्य के कल्याण और सुरक्षा के लिए अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। यह उनका धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था और उनके शासनकाल में धार्मिक न्याय का पालन करने का संकल्प प्रकट करता था।

- राजनीतिक प्रतिष्ठा

अश्वमेध यज्ञ के आयोजन से, भगवान राम ने अपने शासन की प्रतिष्ठा और सत्ता को प्रकट किया। यह यज्ञ उनके राजनीतिक प्रतिष्ठा वित होने का प्रमुख कारण था और उन्होंने अपने शासनकाल में अपनी सकारात्मक क्षमताओं को प्रदर्शित किया।

- समाज के विकास के लिए

भगवान श्रीराम के लिए समाज के कल्याण और विकास हमेशा महत्वपूर्ण था। अश्वमेध यज्ञ के आयोजन से उन्होंने अपने राज्य के विकास के लिए संकल्पित किया और समाज के लिए नए संभावनाओं की दिशा में प्रेरित किया।

- धार्मिक प्रतिबद्धता

अश्वमेध यज्ञ के आयोजन से, भगवान श्रीराम ने अपने धार्मिक प्रतिबद्धता को प्रकट किया। उन्होंने धर्म के माध्यम से समाज के लिए एक महान उदाहरण स्थापित किया और लोगों को धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।


इस रूप में, भगवान श्री राम के अश्वमेध यज्ञ के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे(significance of ashwamedha yajna), जो उनके राजनीतिक, धार्मिक, और सामाजिक दृष्टिकोण को प्रकट करते हैं। यह यज्ञ भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण परंपरा का हिस्सा है जो राजनीतिक और धार्मिक प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठित करता है और समाज के विकास के लिए समर्पित का संदेश देता है।(Vasudhaiva Kutumbakam)